
दिल्ली एनसीआर में स्वच्छ ईंधन की तरफ बढ़ रहे उद्योगों के समक्ष आपूर्ति व लागत के कारण चुनौती बरकरार

–सीएसई ने दिल्ली एनसीआर के प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र भिवाड़ी व अलवर के उद्योगों पर किया अध्ययन
भिवाड़ी। दिल्ली एनसीआर में उद्योग स्वच्छ ईंधन की तरफ बढ़ रहे हैं लेकिन पीएनजी की उपलब्धता व बढ़ती कीमतों की वजह से उद्यमियों की परेशानियां कम नहीं हो रही हैं। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) की ओर से भिवाड़ी व अलवर के औद्योगिक क्षेत्र में किए गए अध्ययन के बाद यह निष्कर्ष निकलकर सामने आया है कि केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबन्धन आयोग ( सीएक्यूएम) ने जून 2022 में पीएनजी की पाईपलाईन वाले औद्योगिक क्षेत्र में सभी उद्योगों को सितंबर 2022 तक स्वच्छ ईंधन का उपयोग करने का निर्देश दिया था और जहां पर पीएनजी की पाईपलाइन नहीं है, वहां 31 दिसंबर 2022 तक का समय निर्धारित किया गया था।
अध्ययन के मुताबिक भिवाड़ी में पीएनजी की पाइपलाइन का नेटवर्क होने के कारण उद्योग पीएनजी की ओर स्थानांतरित हो रहे हैं जबकि अलवर के मत्स्य औद्योगिक क्षेत्र (एमआईए) के उद्योग पीएनजी की पाइपलाइन नहीं होने के कारण बायोमास का विकल्प चुन रहे हैं। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल (आरपीसीबी) के अनुसार
अलवर और भिवाड़ी के लगभग सभी उद्योग सीएक्यूएम द्वारा अनुमोदित ईंधन पर चले गए हैं। अपवाद स्वरूप कुछ उद्योग लकड़ी के चारकोल का इस्तेमाल कर रहे हैं। सीएसई के औद्योगिक प्रदूषण कार्यक्रम निदेशक निवित कुमार यादव के अनुसार, ‘ हालांकि ये उद्योग अपने ईंधन में बदलाव ला रहे हैं लेकिन स्वच्छ ईंधन के उपयोग को स्थाई विकल्प बनाने के लिए पीएनजी की उपलब्धता, बढ़ती कीमत व बायोमास को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने की स्थिति में नए पीएम उत्सर्जन मानदंडों की चुनौतियां बरकरार है।
सीएक्यूएम के आदेश के बाद स्वच्छ ईंधन की ओर अग्रसर भिवाड़ी व अलवर के उद्योग
पीएनजी व बायोमास एनसीआर के उद्योगों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किए जाने वाले दो बड़े स्वच्छ ईंधन हैं। चूंकि ये दोनों ईंधन भिवाड़ी व अलवर में स्थापित उद्योगों में प्रमुखता से उपयोग होते हैं। इसलिए अलवर जिले को अध्ययन के लिए चुना गया था। ईंधन स्थानांतरण के तरीक़े उपलब्धता के अनुसार बदलते रहे हैं। भिवाड़ी के उद्योगों में ईंधन के रूप में अधिकतर पीएनजी का उपभोग इसलिए होता है, क्योंकि यहां पीएनजी की पाईपलाईन उपलब्ध है। मत्स्य औद्योगिक क्षेत्र में अभी तक पाइपलाइन की अनुपलब्धता होने के कारण उद्योगों के लिए प्रमुख विकल्प जैव अवशेष या बायोमास है। कैपेक्स और ओपेक्स दोनों दृष्टि से पीएनजी महंगा है जबिक बायोमास अपेक्षाकृत सस्ता है। भिवाड़ी में अधिकतर उद्योगों ने पीएनजी में परिवर्तित होने के लिए कम सेकम एक करोड़ रुपए खर्च किये हैं। पीएनजी की कीमत 52/एससीएम (2023) है, जबिक बायोमास को विकल्प के रूप में चुनने का अधिकतम मूल्य शून्य से पांच लाख रुपए तक ही है। बायोमास 5 रुपये प्रति किलोग्राम की क़ीमत पर ही उपलब्ध है। पीएनजी की उपलब्धता औऱ इसकी निरंतर मूल्य वृद्धि एक बड़ी चिंता है। पीएनजी का इस्तेमाल करने वाले अनेक उद्योग पहले से ही चिंतित हैं क्योंकि मौजूदा वैश्विक संकट को देखते हुए केवल 70-80 फीसदी पीएनजी ही दिया गया है। इसके कारण इसके क्रय मूल्य में 2021 में 24 रुपए/एससीएम से 2023 में 52 रुपए/एससीएम की वृद्धि हुई है। इस संकट की भरपाई करने के लिए उद्योग विभिन्न रणनीतियों को अपना रहे हैं। जैसे अंतिम उत्पाद के मूल्य में वृद्धि, वैकल्पिक ईंधन (
एलएसएचएस और एलपीजी) के उपयोग के साथ न्यूनतम पीएनजी का इस्तेमाल, ऊर्जा पक्ष में मूल्यों में कटौती के लिए सोलर प्लांट की स्थापना, वैकल्पिक कच्चे माल का उपयोग और अस्वीकृति में कमी आदि। यादव ने बताया कि “कुछ उद्योग अपने उत्पादन का एक हिस्सा दिल्ली एनसीआर के बाहर ले जाने के इच्छुक दिखते हैं, जिससे वे पहले की तरह पारंपरिक ईंधनों का इस्तेमाल कर सकें।”
बायोमास के प्रचलन में कण उत्सर्जन एक बड़ी चिंता का कारण है। सीएक्यूएम के आदेशानुसार पीएम उत्सर्जन हर हाल में 80/मिलीग्राम/एनएम 3 के नीचे लाने की जरूरत है। यादव कहते हैं कि, ” हमारा अध्ययन यह संकेत करता है कि उद्योग पीएम उत्सर्जन को कमतर करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहे हैं। बैग फिल्टर या इलेक्ट्रोस्टैटिक
प्रिसिपेटर्स उत्सर्जन को 50 मिलीग्राम/एनएम 3 से भी
कम कर सकता है, लेकिन सर्वे किए गए 15 में से एक बायोमास -फायरिंग उद्योग के पास बैग फिल्टर उपलब्ध है जबकि बाकी बचे उद्योग कम कम समर्थ हैं। जैसे कि साइक्लोन सेप्रेटर्स, डस्ट कलेक्टर अथवा वेट स्क्रब्रर्स। इतना ही नहीं इनमें से कुछ वायु प्रदूषण नियंत्रित करने वाले यंत्र पहले से बुरी स्थिति में हैं।
समुचित मात्रा में हो पीएनजी की आपूर्ति
पीएनजी कनेक्शन वाले उद्योग पीएनजी की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं और उन्हें डिमांड का केवल 70-80 फीसदी ही मिल पाता है जबकि 2022 में आवेदन करने वाले उद्योगों को अभी तक कनेक्शन नहीं मिल पाया है। इसलिए निरंतर आपूर्ति का सुनिश्चित होना आवश्यक है।
पीएनजी को जीएसटी के अधीन लाया जाए
यहां बता दें कि अधिकतर उद्योगों को पीएनजी की डिमांड का सिर्फ 70-80 फीसदी ही मिल पाता है जबकि शेष बचा 20-30 फीसदी उद्योगों को विशेष मूल्य प्रणाली के तहत बेच दिया जाता है। इसे ‘स्पाट प्राइस’ भी कहते हैंऔर यह संकुचित पीएनजी से लगभग चार गुना अिधक होता है। इस कारण ईंधन अधिक उपयुक्त नहीं होता है। अलवर के छोटे और मध्यम श्रेणी के उद्योगों के लिए तो यह विशेष तौर पर अनुपलब्ध है।
सीएसई के औद्योगिक प्रदूषण के कार्यक्रम प्रबंधक पार्थ कुमार ने बताया कि, “एनसीआर में पीएनजी की क़ीमत को नियंत्रण में लाने के लिए इसे जीएसटी के अधीन लाना चाहिए, ताकि उद्योगों को आपूर्ति होने से पूर्व इसे राज्य की बहुस्तरीय कर प्रणाली से बचाया जा सके।”
कारगर एपीसीडी को स्थापित और संचालित करने की आवश्यकता
बायोमास-फायरिंग में बैग फिल्टर्स या इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रिसिपीटेर्स जैसे उपयुक्त वायु प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली (एपीसीडी) का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है। इन प्रणालियों को खरीदने के लिए सरकार को अनुदान देना चाहिए, जिससे लघु और मध्यम श्रेणी के उद्योगों को इसका सीधा और अधिकतम लाभ मिल सके। उन उद्योगों के खिलाफ2 कठोर कदम उठाने की जरुरत है जो बायोमास को एक ईंधन के रूप में उपयोग करने से पहले उपयुक्त वायु प्रदूषण नियंत्रण प्रणाली स्थापित नहीं की है।
उत्सर्जन पर निगरानी की प्रणाली को मजबूत करने की जरुरत
भिवाड़ी औऱ अलवर में बायोमास पर प्रचलन की मात्रा पर विचार व्यक्त करते हुए ऑनलाइन कॉन्टिनुअस एमिशन मॉनिटरिंग सिस्टम (सीईएमएस) को मजबूत करने की आवश्यकता है। सर्वे किए गए 15 बायोमास-फायरिंग उद्योगों में से केवल दो ने निर्धारित स्थानों पर सीईएमएस स्थापित किया था। प्रदूषण की रोकथाम के लिए औद्योगिक विशिष्ट क्षेत्र प्रदूषण मूल्यांकन के काम को नियमित रूप से चलाए जाने की ज़रूरत है। ऑनलाइन
सीईएमएस डेटा के सीएसई द्वारा मूल्यांकन से यह रहस्य उजागर हुआ कि यह सूचना समयबद्धता की दृष्टि से सटीक नहीं है। अनेक उद्योग दीर्घकालिक आंकड़े पेश नहीं कर रहे हैं। पर्याप्त मात्रा के साथ उत्सर्जन मॉनिटरिंग को सुव्यवस्थित करने और सीईएमएस प्रमाणन को सही स्थान पर रखने की जरुरत है, जिससे सही उत्सर्जन मॉनिटरिंग और आंकड़े की गुणवत्ता को ऑनलाइन प्रदर्शित किया जा सके।
