
अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर प्रवीण हुड्डा ने कहा, देश में आर्थिक सहयोग व सुविधाओं की कमी से गुमनामी में खो जाती हैं प्रतिभाएं
भिवाड़ी। बॉक्सर प्रवीण हुड्डा (Boxer Praveen Hudda) ने कहा है कि देश में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, बस जरुरत है उन्हें प्रोत्साहन की। प्रवीण 2024 में होने वाले पेरिस ओलंपिक की तैयारियों में जुटी हुई हैं और ऊंज सपना ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना है। बॉक्सर प्रवीण हुड्डा रविवार को प्रेसिडेंसी स्कूल में आयोजित सीबीएसई नेशनल फुटबॉल प्रतियोगिता के उदघाटन समारोह में शामिल होने आई थीं। इस मौके पर NCR Times से बातचीत करते हुए बॉक्सर प्रवीण हुड्डा ने कहा कि देश में प्रतिभाओं की भरमार है लेकिन जरुरत है शुरुआत में आर्थिक सहयोग व समर्थन की। क़ामयाब होने के बाद सरकार व कारपोरेट सहयोग करते हैं लेकिन शुरुआत में सपोर्ट करने वाले नहीं मिलने से कई प्रतिभाएं पीछे रह जाती हैं।

रोहतक के छोटे से गांव रूड़की निवासी प्रवीण हुड्डा ने कहा कि उनके पिता किसान हैं जबकि मां गृहणी हैं। शुरुआत में आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने पर उन्होंने खेलने से मना किया। उनका कहना था कि बॉक्सिंग लड़कों का खेल है और चोट लगने पर शादी भी होना मुश्किल हो जाएगी। प्रवीण ने कहा कि वह स्कूल में मॉनिटर थीं लेकिन लड़के उनकी बात नहीं मानते थे और कई बार उनकी पिटाई भी कर देते थे तथा घर आने पर मां भी पिटाई करती थीं। उनके घर के पास स्टेडियम था, उन्होंने सोचा कि अगर वह मजबूत हुईं तो लड़कों को पीट सकती हैं, यहीं से बॉक्सिंग का ख्याल आया। शुरुआत में परेशानी हुई तो कोच व गांव के सरपंच सुधीर हुड्डा ने आर्थिक सहयोग किया, जिससे उनके खेल में निखार आता गया। सुधीर ने प्रवीण के मां-बाप को समझाकर बॉक्सिंग के लिए राजी किया, जिसका परिणाम भी निकलकर आया। प्रवीण नेशनल चैंपियन रहने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए मेडल जीत चुकी हैं। आज उनको देखकर गांव की बड़ी संख्या में लड़कियां बॉक्सिंग के गुर सीख रही हैं। लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी पंजाब से बीएससी थर्ड ईयर की स्टूडेंट्स प्रवीण हुड्डा अपनी मां को आइडियल मानती हैं लेकिन एमसी मेरीकॉम के ओलंपिक में मेडल लाने पर उनसे काफी प्रभावित हुईं और उनकी तरह ओलंपिक में देश के लिए मेडल लाने का ख्वाब देखने लगीं।प्रवीण को एक बड़ी कंपनी स्पांसर कर रही है, जिससे वह अपने सपने को साकार कर सकें।

