The Sagar School’s 23rd foundation day celebrated with great fanfare
Bhiwadi. तिजारा-फिरोजपुर झिरका मार्ग पर स्थित द सागर स्कूल ( The Sagar School) का 23वां स्थापना दिवस ( foundation Day) शनिवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शिक्षाविद , विरासत कार्यकर्ता, लेखक, विरासतशाला के प्रबंध निदेशक विक्रमजित सिंह रूपराय थे। कार्यक्रम का शुभारंभ भारतीय शास्रीय नृत्य की प्रस्तुति से हुआ। स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए सागर स्कूल की चेयरपर्सन रोजमेरी सागर ने विद्यालय की उपलब्धियों पर प्रसन्नता व्यक्त की और समस्त सागेरियन परिवार को हार्दिक बधाई दी। प्राचार्य डॉ.अम्लान के. साहा ने विद्यालय की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए वार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।

मुख्य-अतिथि विक्रमजित सिंह रूपराय ने विजेताओं को पुरस्कार एवं पदक प्रदान किया। साल 2020-21 में सीबीएसई बोर्ड की बारहवीं कॉमर्स में टॉप करने वाले भिवाड़ी के सुमित दायमा (95.2%) सहित अन्य प्रतिभाओं को ट्राफी व सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि ने अपने सम्बोधन में इतिहास के माध्यम से खेल-खेल में विभिन्न विषयों के ज्ञान प्राप्त करने की प्रेरणा दी। उन्होंने छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए आत्मविश्वास के साथ उत्कृष्टता के मार्ग को पूरे जीवन में कायम रखने की प्रेरणा दी। मुख्य अतिथि ने कहा कि किताबी ज्ञान से ज़्यादा महत्वपूर्ण व्यावहारिक ज्ञान होता है। उन्होंने कहा कि विद्या दान देने की चीज है, ना कि बेचने की। उन्होंने कहा कि किसी की सफलता के पीछे कई लोगों का योगदान होता है, इसलिए कामयाबी पर घमंड करने के बजाय सहयोग करने वालों के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए। उन्होंने 160 एकड़ के सुन्दर , प्रदूषणरहित व हरे भरे परिसर में विद्यार्थोयों को समग्र शिक्षा प्रदान करने के लिए द सागर स्कूल की सराहना की। उन्होंने स्वयं के जीवन से उदाहरण देते हुए सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के सपनों को साकार करने का मंत्र बताया।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने मोहा मन
इस अवसर पर द सागर स्कूल के विद्यार्थियों ने ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव ’ के उपलक्ष्य में सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। गुरुदेव रबीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा रचित नृत्यनाटिका ‘ताशेर देश’, ‘आज़ादी के स्वर’ संगीत’, ‘भारतीय स्वतंत्रता का संघर्ष’ माइम एवं भारतीय शास्रीय एवं लोक नृत्यों के माध्यम से अपने गौरवशाली इतिहास एवं सांस्कृतिक विरासत की प्रस्तुतियों से दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए तथा उन्होंने तालियों की गड़गड़ाहट से विद्यार्थियों का उत्साहवर्धन किया। विद्यालय के पूर्व छात्रों और शिक्षकों ने बड़ी संख्या में भाग लेकर इसे एक यादगार दिवस बना दिया। इस मौके पर लगाई गई प्रदर्शनी में विद्यार्थियों ने हिंदी, अंग्रेजी, फ्रेंच, जर्मन भाषाओं तथा विज्ञान , समाज विज्ञान , कला एवं वाणिज्य आदि विषयों की प्रदर्शनी में शोध तथा रचनात्मक कार्यों की अद्भुत झलक दिखाई। आगंतुकों और विद्यार्थियों ने सांस्कृतिक मेले (फेट ) का आनंद लिया।