
दिवाली से पहले ही दिल्ली एनसीआर की आबोहवा में ज़हर घुल गया है और सांस लेने लायक साफ हवा नहीं रह गई है। धारूहेड़ा की आबोहवा बेहद खराब हो गई है तो भिवाड़ी भी प्रदूषण के मामले में धारुहेड़ा की बराबरी कर रहा है। सड़कों पर वाहनों की भारी भीड़ से जाम की स्थिति बनी हुई है तथा कचरा जलाने से वायु प्रदूषण बढ़ गया है जबकि फैक्ट्रियों में उत्पादन ठप है। दिल्ली एनसीआर में पटाखे पर प्रतिबंध के बावजूद धनतेरस पर जमकर आतिशबाजी हुई है, जिससे आसमान में धुएं का गुबार छाया हुआ है। ऐसे में दिवाली के बाद भिवाड़ी-धारुहेड़ा सहित समूचे एनसीआर के वायु प्रदूषण की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है। वायु गुणवत्ता की निगरानी करने वाली बहु-एजेंसियों ने दीवाली और दीवाली के बाद वायु गुणवत्ता में गंभीर प्रदूषण के आशंका जाहिर की है।
वायु गुणवत्ता की निगरानी और फोरकास्ट करने वाली एजेंसी सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) के मुताबिक 22 अक्तूबर, 2022 को दिल्ली-एनसीआर की हवा में बेहद सूक्ष्म प्रदूषण कण पार्टिकुलेट मैटर 2.5 की हिस्सेदारी करीब 46 फीसदी तक पहुंच गई है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ( सीपीसीबी) के रोजाना जारी होने वाले औसत 24 घंटे वायु गुणवत्ता निगरानी सूचकांक (एक्यूआई) बुलेटिन के मुताबिक 22 अक्तूबर को दिल्ली और आस-पास (एनसीआर) के शहरों में हवा की गुणवत्ता खराब से बहुत खराब के बीच बनी हुई है।
सीपीसीबी के 22 अक्तूबर एक्यूआई बुलेटिन के मुताबिक दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और बिहार के कई शहरों की वायु गुणवत्ता बहुत खराब श्रेणी (301-400) में पहुंच गई है और हवा में प्रमूख प्रदूषक पार्टिकुलेट मैटर 2.5 व 10 है। बुलेटिन के मुताबिक 22 अक्तूबर को दिल्ली का एक्यूआई 265 जबकि एनसीआर के प्रमुख शहर धारुहेड़ा 325, गाजियाबद 312, भिवाड़ी 283, मानेसर 273, गुरुग्राम 206, ग्रेटर नोएडा 261, नोएडा 290, फरीदाबाद 280 दर्ज किया गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के वायु गुणवत्ता सूचकांक की चार अहम श्रेणियां हैं। इसके मुताबिक 1-50 का एक्यूआई अच्छा, 51 से 100 का एक्यूआई संतोषजनक, 101 से 200 का एक्यूआई मध्यम (मॉडरेट), 201-300 का एक्यूआई खराब, 301 से 400 का एक्यूआई बहुत खराब और गंभीर श्रेणी की वायु गुणवत्तान 401-500 का एक्यूआई दर्शाता है। जबकि 501 से अधिक इमरजेंसी वायु गुणवत्ता को दर्शाता है।
वायु प्रदूषण से इस तरह करें बचाव
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के कारण इन दिनों पहले से ही हवा की गुणवत्ता खराब बनी हुई है। ऐसे में दीवाली में पटाखे जलाने से प्रदूषण ज्यादा बढ़ जाएगा, जो सेहत पर भारी पड़ सकता है। खासतौर पर बच्चों, बुजुर्गों व पहले से ब्रोंकाइटिस, सीओपीडी (क्रोनिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज), अस्थमा, ब्लड प्रेशर, हृदय की बीमारियों सहित विभिन्न रोगों से पीड़ित मरीजों के लिए यह घातक भी साबित हो सकता है।

आंखों में जलन और एलर्जी की समस्या
वातावरण में जहरीली गैसें व प्रदूषक तत्व बढ़ने से एलर्जी होती है। इससे आंखों में जलन व त्वचा पर एलर्जी की समस्या हो सकती है।सांस की नली में संक्रमण वातावरण में मौजूद प्रदूषक तत्व व जहरीली गैसें सांस के जरिये शरीर में प्रवेश करने पर सांस की नली में संक्रमण हो सकता है। इस वजह से खांसी व सांस की नली में सिकुड़न होने पर सांस लेने में परेशानी हो सकती है।

ब्रोंकाइटिव व अस्थमा का अटैक बढ़ने का खतरा
पीएम-10 व पीएम-2.5 जैसे सूक्ष्म कण सांस के जरिये फेफड़े में पहुंचते हैं। इससे ब्रोंकाइटिस, सीओपीडी, अस्थमा के मरीजों की बीमारी बढ़ सकती है। इस वजह से अस्थमा का अटैक भी हो सकता है। जिन बच्चों को पहले से ब्रोंकाइटिस व अस्थमा की समस्या रहती है, उनकी बीमारी बढ़ सकती है। ऐसी स्थिति में नेबुलाइज व आक्सीजन देने की जरूरत पढ़ सकती है।

बढ़ सकता है ब्लड प्रेशर
पीएम-2.5 बहुत सूक्ष्म कण होने के कारण फेफड़े से होते हुए ब्लड में पहुंच जाता है। इस वजह से ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है। ऐसे में ब्लड प्रेशर व हृदय की बीमारी से पीड़ित पुराने मरीजों की समस्या बढ़ सकती है।हार्ट अटैकप्रदूषण के कारण ब्लड प्रेशर बढ़ने से धमनियों में ब्लाकेज होने का खतरा रहता है। इससे हार्ट अटैक व लकवा का खतरा हो सकता है।
सुबह सैर पर न जाएं
सुबह प्रदूषण अधिक रहने लगा है। इसलिए सांस व हृदय की बीमारियों से पीड़ित लोग सुबह में सैर न करें। प्रदूषण में सुबह की सैर खतरनाक साबित हो सकती है।
इन बातों का रखें ध्यान
- आतिशबाजी के दौरान कमरे व घर की खिड़कियों को ठीक से बंद करके रखें। घर में ही रहें।
- घर से बाहर जाना जरूरी हो तो एन-95 मास्क का इस्तेमाल करें और अपनी दवाएं नियमित रूप से लेते रहें।
- दीवाली में आतिशबाजी के कारण हर साल हवा की गुणवत्ता खतरनाक श्रेणी में पहुंच जाती है। इसके बाद कई दिनों तक यह समस्या बनी रहती है।
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