दिवाली से पहले लागू हुआ ग्रेप का दूसरा चरण, पढ़िए दिल्ली एनसीआर में लागू हुए कौन-कौन से प्रतिबंध

Bhiwadi/ Delhi. दिल्ली- एनसीआर में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबन्धन आयोग (CAQM) की उपसमिति ने आपात बैठक कर ग्रेप (ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान) के दूसरे चरण को लागू कर दिया गया है। दिल्ली समेत एनसीआर के सभी जिलों में ग्रेप के दूसरे चरण को लागू किया गया है। उपसमिति ने आशंका जताई है कि दिवाली से पहले ही दिल्ली एनसीआर की हवा काफी खराब हो सकती है। सीएक्यूएम ने दिल्ली के अलावा हरियाणा, राजस्थान व यूपी के प्रदूषण नियंत्रण मंडलों को ग्रेप के दूसरे चरण के नियम लागू करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही आमजन से भी पर्यावरण स्वच्छ रखने के लिए सहयोग मांगा गया है।
हवा साफ रखने के लिए लगाए यह प्रतिबंध
- ग्रेप के दूसरे चरण के लागू होते ही अब यहां पर इमरजेंसी सेवाओं को छोड़ कर सभी जगह डीजल जेनरेटरों के चलाने पर पर रोक लग जाएगी।
- होटल, रेस्तरां, ढाबों, भोजनालयों में कोयले, लकड़ी और तंदूर का इस्तेमाल भी नहीं हो सकेगा।
- जेनरेटर का इस्तेमाल रोकने के लिए पर्याप्त बिजली उपलब्ध करवाई जाए।
- बस एवं मेट्रो सेवा की फ्रीक्वेंसी बढाई जाए।
- आरडब्ल्यूए सर्दी में गार्ड को हीटर उपलब्ध करवाएं, जिससे वह अलाव ना जलाएं।
- हॉट स्पॉट एवं भीड़भाड़ वाली सड़कों पर पानी का छिड़काव करें।
- निर्माण करने वाली जगहों की निगरानी कर कार्रवाई की जाए।
- ट्रेफिक जाम वाली जगहों पर पुलिस तैनात कर जाम को खुलवाया जाए।
- बड़े निर्माण वाली जगह पर एंटी स्मॉग गन का इस्तेमाल किया जाए।
- लोगों को विभिन्न माध्यम से प्रदूषण रोकने के लिए जागरुक किया जाए।
- सड़कों की मशीनों से रोज सफाई करवाई जाए।

यहां कर सकेंगे डीजल जेनरेटर का उपयोग
दिल्ली एनसीआर में ग्रेप का दूसरा चरण लागू होने के बाद अलग-अलग जगहों पर लगे एस्केलेटर, इलेवेटर्स व ट्रेवलेटर्स आदि में डीजल जेनरेटर का उपयोग किया जा सकेगा लेकिन व्यावसायिक व आवासीय सोसायटी को यह सुनिश्चित करना होगा कि डीजल जेनरेटर का उपयोग सिर्फ इसी काम के लिए हो रहा है। अस्पताल, नर्सिंग, हेल्थकेयर सेंटर व स्वास्थ्य सम्बन्धी उपकरण का निर्माण करने वालों को डीजल जेनरेटर का उपयोग करने की छूट रहेगी। इसके अलावा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, वाटर पंपिंग हाउस, टेलीकम्युनिकेशन सहित अन्य आवश्यक सेवाओं को इस प्रतिबंध से छूट रहेगी।
पराली जलने से बढ़ जाता है प्रदूषण
वायु गुणवत्ता आयोग (सीएक्यूएम) ने एहतियात के तौर पर कुछ और प्रतिबंध लगाने पर निर्णय ले सकता है। बता दें कि पराली जलने के कारण दिल्ली- एनसीआर के हालात ज्यादा खराब हो जाते हैं। हाल में ही आई रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर और नवंबर के आसपास प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 48 प्रतिशत तक पहुंच जाती है। इस बार बारिश के कारण जमीन गीली रही और पराली ज्यादा नहीं जल पाई है। वहीं अब धीरे- धीरे पराली जलाने के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं।