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धारुहेड़ा रहा देश में सबसे प्रदूषित शहर, दमघोंटू हवा से एनसीआर बेहाल, वायु प्रदूषण रोकने के सरकारी दावे फेल

Bhiwadi. ग्रेडेड एक्शन रिस्पांस प्लान (ग्रेप) लागू होने के बाद पहली बार औद्योगिक कस्बे धारुहेड़ा (Dharuheda) रेड जोन में चला गया और देश के सबसे प्रदूषित शहर का बदनुमा दाग अपने माथे पर लगा गया। रविवार सुबह से ही धारुहेड़ा की हवा ज़हरीली रही और सड़कों से उड़ती धूल व खुले में कचरा जलने एवं वाहनों के धुएं से होने वाले प्रदूषण से लोगों को राहत नहीं मिली। रविवार सुबह से ही धारुहेड़ा  रेड जोन में चला गया और एयर क्वालिटी इंडेक्स 300 से ऊपर रहा। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से शाम चार बजे जारी किये गए आंकड़े के अनुसार धारुहेड़ा का एक्यूआई 345 रहा लेकिन रात 11 बजे 349 दर्ज किया। धारुहेड़ा के पड़ोसी औद्योगिक शहर भिवाड़ी की हवा भी खराब स्थिति में पहुंच गई है और एक्यूआई 281 तक चला गया।

बारिश से मिली राहत लेकिन फिर बढ़ गया प्रदूषण

दिल्ली-एनसीआर में दिवाली से पहले दमघोंटू हवा से लोग बेहाल हैं। पिछले दिनों बारिश के बाद आसमान साफ था, लेकिन हवा की गति में कमी और उच्च आर्द्रता के साथ धुंधली सुबह ने प्रदूषण का स्तर एक बार फिर बढ़ा दिया है। रविवार को भिवाड़ी-धारुहेड़ा सहित दिल्ली में वायु गुणवत्ता खराब रहने से लोग बेहाल रहे। राष्ट्रीय राजधानी से सटे गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा व गाजियाबाद में रविवार सुबह 9 बजे ही हवा की गुणवत्ता खराब श्रेणी में चली गई। सीपीसीबी के मुताबिक रविवार शाम चार बजे दिल्ली का आनंद विहार (412) व शादीपुर (312), गुरुग्राम के सेक्टर 51 का एक्यूआई (304), मानेसर (251), फरीदाबाद (229), नोएडा ( 258) गाज़ियाबाद (286) दर्ज किया गया।

टूटी सड़कें, उड़ती धूल व वाहनों से बढ़ा प्रदूषण

भिवाड़ी के आवासीय व औद्योगिक इलाक़ों में टूटी सड़कें, उड़ती धूल, वाहनों की बढ़ती ज्यादा संख्या, जाम, नियमों को ताक पर रखकर होने वाले निर्माण आदि से प्रदूषण बढ़ रहा है। इसके अलावा जगह-जगह कबाड़ी कचरा जलाकर प्रदूषण को बढ़ावा दे रहे हैं। औद्योगिक नगरी में जगह-जगह खुले में बिल्डिंग मैटेरियल रखे हुए हैं, जिससे हवा के साथ रेत के कण उड़कर प्रदूषण को बढ़ा रहे हैं। कमोबेश यही हाल धारुहेड़ा सहित अन्य शहरों का है, जहां प्रदूषण का करीब 30 फीसदी प्रदूषण औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले धुएं से होता है।एनसीआर में बड़ी संख्या में प्लास्टिक को जलाने व पिघलाकर सामान बनाने की अवैध फैक्ट्रियां चल रही हैं। औद्योगिक क्षेत्र समेत अन्य इलाके की सड़कों से वाहनों के गुजरने पर धूल उड़ती है। जगह-जगह कूड़ा जलाया जाता है। जगह-जगह खुले में निर्माण सामग्री रख नियमों की अनदेखी करते हुए इमारतों का निर्माण कार्य चल रहा है।

वायु गुणवत्ता का मानक

0 – 50 : अच्छा

51 – 100 : संतोषजनक

101 – 200 : मध्यम

201 – 300 : खराब

301 – 400 : बेहद खराब

401 – 500 : गंभीर

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