उद्यमियों ने किया ग्रेप के नियमों का विरोध, बीआईआईए अध्यक्ष प्रवीण लांबा के नेतृत्व में बीडा सीईओ को सौंपा ज्ञापन
Bhiwadi. दिल्ली एनसीआर में शनिवार से ग्रेडेड एक्शन रिस्पांस प्लान (ग्रेप) लागू हो जाएगा। औद्योगिक संगठन बीआईआईए ने ग्रेप के नियमों के विरोध में शुक्रवार को बीड़ा कार्यालय पर पहुंचकर बीड़ा सीईओ को ज्ञापन दिया। बीआईआईए के अध्यक्ष प्रवीण लांबा ने बताया कि एक अक्टूबर से ग्रेप के नियम लागू होने जा रहे हैं, जिसको लेकर भिवाड़ी के उद्योगपतियों में खासी चिंता बनी हुई है। ग्रेप के नियमों के अनुसार अगर AQI का स्तर 300 के ऊपर जाता है तो डीजी सेट पर पूर्ण रूप से पाबंदी लग जाएगी। भिवाड़ी के अंदर करीब 6000 कंपनिया संचालित हैं जिनमें छोटे या बड़े डीजी सेट लगे हुए हैं। इनमें से बहुत सी इकाईयां ऐसी हैं जो रेगुलर प्रोसेस करने वाली हैं, इनमें अगर प्रोसेसिंग बंद होती है तो लाखों रुपए का नुकसान हो जाता है। लांबा ने बताया कि सरकार की तरफ से उद्योगों को पर्याप्त बिजली मुहैया नहीं कराई जा रही है और ग्रेप के नियमों के हिसाब से डीजी सेट पर पाबंदी लगाई जा रही है। इससे औद्योगिक इकाइयों के समक्ष भारी संकट आ खड़ा हुआ है। उद्योगपतियों की इसी समस्या को राज्य सरकार तक पहुंचाने के लिए बीआईआईए के सभी पदाधिकारियों एवं उद्योगपतियों ने बीड़ा सीईओ को ज्ञापन सौंपकर समस्याओं का निराकरण कराने की मांग की है। इस दौरान राम प्रकाश, सतेंद्र चौहान, ओपी अग्रवाल, ब्रजमोहन अग्रवाल, हरिराम शर्मा, सुरेश अग्रवाल, पवन अग्रवाल, महेश अदाना, भूपेंद्र भोकेन, तरशेम चौधरी, कुलदीप शर्मा, जोगिंदर नाथ सोंधी, सुमित गुप्ता, विपिन चौधरी, मुकेश यादव, इंदरपाल शर्मा, भारत भूषण भारती, धर्मपाल चौधरी, कमल जैन, पवन बंसल, संजय मित्तल, विनोद गुप्ता, संदीप अग्निहोत्री, सुनील सोलंकी, परसाराम यादव, दीपक यादव सहित भिवाड़ी के उद्योगपति शामिल थे।
ग्रेप के नियमों के अनुसार मिलेगी छूट
राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आरओ अमित शर्मा ने बताया कि उनका काम सरकार के द्वारा जारी किए गए नियमों का पालन करवाना है। उन्होंने कहा कि सरकार की तरफ से आने वाले आदेश का पालन करवाया जाएगा। फिलहाल ग्रेप के नियमों के हिसाब से ही उद्योग इकाइयों को संचालित करने की छूट दी जाएगी। आगे जैसे भी नियम आएंगे उसी हिसाब से कार्य किया जाएगा।
ग्रेप से संकट में आएंगे उद्योग
बीआईआईए के अध्यक्ष प्रवीण लांबा का कहना है कि अगर 1 अक्टूबर से ग्रेप के नियम लागू होते है तो भिवाड़ी के अंदर संचालित करीब 6000 औद्योगिक इकाइयों पर भारी संकट खड़ा हो जाएगा। लांबा ने बताया कि सभी इकाइयां एक-एक करके बन्द हो जायेगी और कम्पनियों को लाखों रुपए का नुकसान हो सकता है।
भिवाड़ी को एनसीआर में शामिल करना गलत- चौहान
भिवाड़ी के उद्योगों का एनसीआर में शामिल होने से प्रदूषण पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। यहां की इंडस्ट्री 8 महीने काम करती है तब यहां प्रदूषण नहीं फैलता लेकिन जब दिल्ली में प्रदूषण फैलता है तो उसका खामियाजा भिवाड़ी के उद्योगों को भुगतना पड़ता है। इसकी वजह यह है कि दिल्ली की हवा सर्दियों के समय भिवाड़ी की तरफ आती है न कि भिवाड़ी की हवा दिल्ली की तरफ जाती है। जब यहाँ से वायु प्रदूषण होता ही नही है तो ग्रेप मे शामिल करना या एनसीआर में शामिल करना गलत है।