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पिछले साल पांच करोड़ लोग ‘‘आधुनिक गुलामी’’ में रहे: संयुक्त राष्ट्र

जिनेवा। संयुक्त राष्ट्र की श्रम एजेंसी का अनुमान है कि पिछले साल के अंत तक दुनिया भर में करीब पांच करोड़ लोग ‘‘आधुनिक गुलामी’’ के पीड़ित रहे थे, जो या तो बंधुआ मजदूरी में धकेल दिए गए या उनका विवाह कर दिया गया। यह आंकड़ा पांच साल पहले आई संस्था की पिछली रिपोर्ट से 25 प्रतिशत अधिक है। अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और साझेदार ‘‘व्यावसायिक यौन शोषण’’ जैसे चिंताजनक रुझानों की ओर इशारा करते हैं, जो चार में से लगभग एक व्यक्ति को प्रभावित करते हैं जो बंधुआ मजदूरी के अधीन हैं। इससे गरीबों, महिलाओं और बच्चों पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है।

संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय प्रवासी मामलों के संगठन और आधुनिक दासता पर काम करने वाले अधिकार समूह वॉक फ्री फाउंडेशन के साथ आईएलओ ने बताया कि 2021 के अंत में बंधुआ मजदूरों की संख्या 2.8 करोड़ थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक साल पहले के आंकड़ों के आधार पर 2017 में इस तरह की आखिरी रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद से इस तरह के आंकड़ों में आधुनिक गुलामी में रहने वाले लोगों की संख्या एक करोड़ बढ़ी है। इसमें कहा गया है कि दो-तिहाई वृद्धि अकेले जबरन विवाह से संबंधित है।
वॉक फ्री के संस्थापक निदेशक ग्रेस फॉरेस्ट ने न्यूयॉर्क में एसोसिएटेड प्रेस (एपी) से साक्षात्कार में कहा कि वृद्धि ग्रीस की आबादी के बराबर है।

रिपोर्ट के अनुसार, सभी जबरन विवाह के मामलों में से दो तिहाई से अधिक मामले एशिया-प्रशांत क्षेत्र में पाए गए जो दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला क्षेत्र है लेकिन प्रति व्यक्ति सबसे अधिक संख्या अरब देशों में है, जहां लगभग प्रति 1,000 में से पांच लोग जबरन विवाह वाले थे। श्रमिकों, व्यवसायों और सरकारों को साथ लाने का काम करने वाली संयुक्त राष्ट्र श्रम एजेंसी के महानिदेशक गाय राइडर ने ‘‘सबसे मिलकर काम करने’’ का आह्वान किया और कहा, ‘‘इसमें ट्रेड यूनियन, नियोक्ता समूह, नागरिक समाज और आम लोग, सभी को महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभानी हैं।’’

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