
छोटे उद्यमी व कारोबारियों को मिलेंगे व्यापार क्रेडिट कार्ड, कार्यशील पूंजी के लिए बैंक जाने से मिलेगी निजात

Bhiwadi/Delhi.केंद्र सरकार किसान क्रेडिट कार्ड की तरह खुदरा व्यापारी और माइक्रो यूनिट्स को क्रेडिट कार्ड दे सकती है। आगामी बजट में इसकी घोषणा की जा सकती है। खुदरा व्यापार के लिए सरकार रिटेल पॉलिसी ला रही है और उस पॉलिसी में खुदरा व्यापारियों को मर्चेंट क्रेडिट कार्ड देने का प्रस्ताव रखा गया है। सूत्रों के मुताबिक उसी तर्ज पर माइक्रो यूनिट को व्यापार क्रेडिट कार्ड जारी किए जा सकते हैं।
सिडबी बना रहा है व्यापार क्रेडिट कार्ड देने का प्लान
व्यापार क्रेडिट कार्ड की विस्तृत रूपरेखा स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (सिडबी) तैयार कर रही है। इस कार्ड को रखने वाले उद्यमी एक निश्चित अवधि तक बिना किसी ब्याज की राशि खर्च कर सकेंगे। इस सुविधा से उन्हें कार्यशील पूंजी की दिक्कत नहीं होगी। माइक्रो यूनिट्स के साथ सबसे बड़ी समस्या है कि माल के नहीं बिकने पर या खरीदार की तरफ से भुगतान में जरा भी देरी करने पर उनके पास कार्यशील पूंजी की दिक्कत हो जाती है और वे नए ऑर्डर के लिए काम नहीं कर पाते हैं। छोटे-छोटे लोन के लिए भी उन्हें बैंकों का मोहताज होना पड़ता है। क्रेडिट कार्ड जारी होने पर इस प्रकार की समस्या नहीं रहेगी।
फिलहाल कौन सी योजना है लागू?
अभी एमएसएमई के लिए इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम चल रही है जिसके तहत वे बिना किसी गिरवी के लोन ले सकते हैं। वर्ष 2020 मई में इस स्कीम के तहत एमएसएमई को तीन लाख करोड़ रुपए का लोन देने की घोषणा की गई थी। इस साल एक फरवरी को पेश बजट में इस स्कीम की अवधि को आगामी 31 मार्च तक के लिए बढ़ा दिया गया और लोन राशि को तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख करोड़ कर दिया गया है। इस साल नवंबर आखिर तक इस स्कीम के तहत 3.58 लाख करोड़ रुपए की मंजूरी दी जा चुकी थी।
व्यापारियों की क्षमता के मुताबिक कार्ड की सीमा
सूत्रों के मुताबिक आगामी 31 मार्च के बाद भी सरकार एमएसएमई के लिए इस स्कीम को जारी रख सकती है।सूत्रों के मुताबिक माइक्रो यूनिट्स व खुदरा व्यापारियों को जारी होने वाले क्रेडिट कार्ड की सीमा 50,000 रुपए से दो लाख रुपए तक हो सकती है। बैंक इन यूनिट व व्यापारियों की क्षमता को देखते हुए यह सीमा तय कर सकते हैं। कम से कम 50 दिन तक क्रेडिट कार्ड से इस्तेमाल राशि पर कोई ब्याज नहीं लगेगा। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अभी देश में 6.3 करोड़ एमएसएमई है जहां लगभग 11 करोड़ लोग काम करते हैं।