आजादी की लड़ाई लड़ने की भावना का प्रतीक है तिरंगा- करात
– आज़ादी के 75 वर्ष के अवसर पर सेमिनार का आयोजन
एनसीआर टाईम्स, जयपुर। भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की जयपुर जिला कमेटी द्वारा आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर “भारत के स्वाधीनता आंदोलन का गौरवशाली इतिहास और वर्तमान चुनौतियां” विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया। इस सैमीनार को भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की पोलित ब्यूरो सदस्य काॅ. बृंदा कारात और का.बीजू कृष्णन ने सम्बोधित किया।
सैमीनार को सम्बोधित करते हुए कामरेड.बृंदा कारात ने कहा कि देशभर में हर घर में तिरंगा फहराने का संदेश दिया जा रहा है। हमारी पार्टी का मानना है कि तिरंगा फहराने में तो हर नागरिक की भावना समाहित है। यह तिरंगा किसी एक पार्टी का नहीं बल्कि आजादी की लड़ाई लड़ने की भावना का प्रतीक रहा है। काॅ.हरकिशन सिंह सुरजीत ने जब 16 साल की उम्र में झंडा फहराया तब अंग्रेजी शासकों की पुलिस ने गिरफ्तार कर उनका नाम पूछा तो उन्होनें “लंदनतोड़ सिंह” बताया। इसी तरह अहिल्या रांगनेकर और तमाम स्वाधीनता संग्राम के सेनानियों के लिए अपनी आजादी हासिल करने का यह प्रतीक था। आजादी के संघर्ष में जो अलग अलग धाराएं थी उसमें एक धारा गांधी के अहिंसक आंदोलन तो की दूसरी धारा डा. भीमराव अम्बेडकर, ज्योतिबा फूले, नारायण गुरु जैसों की थी जो सामाजिक न्याय और शिक्षा पर जोर देकर सामाजिक जागरण का अलख जगा रहे थे। तीसरी धारा कम्युनिस्ट विचारधारा वाले व्यवस्था में आमूल-चूल बदलावों चाहने वाले और प्रगतिशील विचारों के जरिए पीड़ित मजदूरों और किसानों के साथ आम मेहनतकश के सपनों को पूरा करने को आतुर थे, उनमें स्वामी कुमारनंद, विजयसिंह पथिक, हसरत मोहानी, गोदावरी पारुलेकर, ए.के.गोपालन जैसों की धारा थी जो बराबरी पर आधारित समानतापूर्ण और शोषणविहीन समाज की रचना के मतवाले थे और जिन्होंने सबसे पहले 1921 के कांग्रेस सम्मेलन में सम्पूर्ण आजादी का प्रस्ताव रखा था।
हालांकि इन तीनों धाराओं के कार्यकताओं के बीच कुछ वैचारिक मतभेद जरूर थे परन्तु देश की स्वतंत्रता के मुद्दे पर संघर्ष के मुद्दे पर वे सभी एकजुट थे। राजस्थान के ब्यावर,पंजाब में जलियावाला बाग, चौरा-चौरी, तेभागा, तेलंगाना, वर्ली आदिवासी, महाराष्ट्र के शोलापुर जैसे देश के अनेक हिस्सों में किसानों मजदूरों ने अपने को मुक्ति आंदोलन से जोड़ लिया था।
जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष का.बीजू कृष्णन ने बताया कि जो लोग आज सत्ता की मलाई खा रहे हैं, वे आजादी के आंदोलन में साम्राज्यवाद के पिट्ठू थे और आज भी साम्राज्यवादी शक्तियों के साथ पूंजीपरस्ती में खोये हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कामरेड सुमित्रा चोपड़ा, पूर्व न्यायाधीश टीके राहुल के अध्यक्षमंडल ने की।
इसके पहले सम्बोधन में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्य सचिव काॅ.अमराराम ने आज़ादी आंदोलन से दूर रही भारतीय जनता पार्टी-आरएसएस के ढोंगी देशभक्ति पर जमकर प्रहार किए। उन्होंने महंगाई पर लोकसभा में बहस के दौरान गरीबों को राशन के मोदी का अहसानमंद रहने जैसे वक्तव्यों की कड़ी आलोचना की और बताया कि जिस मुफ्त राशन पर पांच सदस्यीय परिवार को 50 रुपये की राहत दी वहीं रसोई गैस में 750 रुपए की बढ़ोतरी कर हर घर से 700 रुपये सरकार के खाते में डकार लिये। सैमीनार को काॅ.बासुदेव,का.तारा सिंह सिद्धू, कविता श्रीवास्तव ने भी सम्बोधित किया। अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुये पूर्व न्यायाधीश टी.सी.राहुल ने अतिथियों और सभी आगंतुकों को धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जिला सचिव डॉ.संजय”माधव” ने किया।