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पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के उपचुनाव में इमरान खान का जलवा कायम, 20 में से 15 सीटें जीती

पाकिस्तान के पंजाब में हुए उपचुनावों में इमरान ख़ान की जीत ने देश की सत्तारूढ़ पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज़ (पीएमएल-एन) और वहां के सुरक्षा तंत्र (सेना) के सामने कई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। सेना के रिश्ते इमरान ख़ान से अप्रैल में ही ख़राब हो गए, जब उन्हें प्रधानमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। असल में, पाकिस्तान के सबसे बड़े सूबे पंजाब में रविवार को हुए उपचुनाव में पूर्व पीएम इमरान ख़ान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ़ (पीटीआई) को 20 में से 15 सीटें मिली हैं. पीटीआई की इस सफलता के बाद पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री और पीएमएल-एन नेता हमज़ा शहबाज़ की कुर्सी का जाना अब तय है। पहले इन सभी 20 सीटों पर पीटीआई के ही एमपीए (मेंबर ऑफ़ प्रोविंसि​यल असेंबली) थे. लेकिन इस साल अप्रैल में इमरान ख़ान के पीएम पद से हटते ही पंजाब में भी उनकी पार्टी की सत्ता छीन गई थी।

बीबीसी संवाददाता सुमायला जाफ़री के मुताबिक अप्रैल के अंत में पंजाब सूबे के तत्कालीन नेता और पीटीआई नेता सरदार उस्मान बुज़दर के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था लेकिन पीटीआई के 20 एमपीए ने अपने नेता को वोट नहीं दिया। इसका नतीज़ा यह हुआ कि इस सूबे में पूर्व पीएम नवाज़ शरीफ़ के बेटे हमज़ा शहबाज़ मुख्यमंत्री बन गए। हालांकि इस घटनाक्रम के बाद इमरान ख़ान ने देश के दलबदल विरोधी क़ानून के तहत बाग़ी एमपीए को अयोग्य क़रार देने की मांग पाकिस्तान के चुनाव आयोग से की। उसके बाद चुनाव आयोग ने मई में पीटीआई के पक्ष में फ़ैसला सुनाते हुए उन सभी 20 एमपीए को अयोग्य क़रार दे दिया। साथ ही 17 जुलाई को इन सीटों पर उपचुनाव कराने का एलान कर दिया। इस उपचुनाव में अयोग्य क़रार दिए गए सभी एमपीए ने पीएमएल-एन के टिकट पर अपनी क़िस्मत आज़माई, लेकिन उनमें से केवल 4 एमपीए ही कामयाब हो पाए. एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को कामयाबी मिली है। मालूम हो कि हमज़ा शहबाज़ को सीएम की कुर्सी से हटाने के लिए 371 सदस्यों वाली पंजाब सूबे की विधानसभा में पीटीआई को और 12 विधायक चाहिए थे। ऐसे हालात में रविवार को हुआ यह उपचुनाव काफ़ी कड़वाहट भरा रहा। कई वजहों से इसे देश के इतिहास का सबसे अहम चुनाव बताया जा रहा था। इमरान ख़ान के अप्रैल में इस्तीफ़ा दे देने के बाद भी यह पहला चुनाव था. इसे पीटीआई की राजनीतिक ताक़त और लोकप्रियता का टेस्ट माना जा रहा था. कई जानकारों का मानना है कि उपचुनाव के नतीज़ों ने पाकिस्तान में आमचुनाव का मंच तैयार कर दिया है।

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