पांच साल बाद भी नहीं मिला अफ़राजुल के परिजनों को इंसाफ
एनसीआर टाईम्स, दिल्ली। उदयपुर के दर्ज़ी कन्हैया लाल और अमरावती के उमेश की हत्या के बाद देशभर में तनाव का माहौल व्याप्त है। मामले की जांच अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए कर रही है लेकिन इसी दौरान अब राजसमंद में बंगाली युवक की जघन्य हत्या के मामले की भी चर्चा हो रही है। राजसमंद में पांच साल पहले हुई एक जघन्य हत्या के मामले को लेकर सवाल उठ रहे हैं और सरकार पर एक ही तरह के मामलों में अलग-अलग तरीके से जांच को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं। एक मुसलमान मज़दूर की लगभग पांच साल पहले हुई हत्या के मामले में अभी भी कार्रवाई शुरुआती चरण में ही है और मृतक के परिजनों को इंसाफ का इंतज़ार है। द हिंदू की ख़बर के अनुसार, राजस्थान के इस हत्या मामले में अभी भी मुख्य अभियुक्त शंभूलाल रैगर के बयान ही दर्ज हो रहे हैं। साल 2017 में राजस्थान के राजसमंद में एक व्यक्ति की हत्या का वीडियो वायरल होने के बाद अभियुक्त शंभूलाल को गिरफ़्तार किया गया था। शंभुलाल ने हत्या के वीडियो के अलावा दो और वीडियो शेयर किए थे जिनमें से एक में वो मंदिर में हैं और हत्या की ज़िम्मेदारी ले रहे हैं जबकि दूसरे वीडियो में वो भगवा ध्वज के सामने बैठे हैं और ‘लव जिहाद’ और ‘इस्लामिक जिहाद’ के ख़िलाफ़ भाषण दे रहे हैं। वहीं मृतक मोहम्मद अफराज़ुल पिछले 12 सालों से शहर में रह रहे थे। वो मूल रूप से बंगाल के रहने वाले थे और राजसमंद में रहकर मज़दूरी करते थे। हालांकि रैगर फिलहाल जोधपुर की उच्च सुरक्षा वाली सेंट्रल जेल में बंद हैं और विचाराधीन कैदी हैं। उसके ख़िलाफ़ राजसमंद के सत्र न्यायालय में मामला चल रहा है। द हिंदू ने राजसमंद के पब्लिक प्रॉसिक्यूटर के हवाले से लिखा है कि उन पर ट्रायल चल रहा है और अभी यह सुबूतों की रिकॉर्डिंग के चरण में है और गवाहों का परीक्षण हो रहा है।