अमेरिका में गर्भपात पर सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले से हड़कंप
अमरीकी सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फ़ैसले में गर्भपात को क़ानूनी तौर पर मंज़ूरी देने वाले पांच दशक पुराने फ़ैसले को पलट दिया है जिसके बाद देश के अलग-अलग शहरों में प्रदर्शन हो रहे हैं।
इसके बाद अब महिलाओं के लिए गर्भपात का हक़ क़ानूनी रहेगा या नहीं इसे लेकर अमेरिका के अलग-अलग राज्य अपने-अपने अलग नियम बना सकते हैं.
माना जा रहा है कि इसके बाद आधे से अधिक अमेरिकी राज्य गर्भपात क़ानून को लेकर नए प्रतिबंध लागू कर सकते हैं। 13 राज्य पहले ही ऐसे क़ानून पारित कर चुके हैं जो गर्भपात को ग़ैरक़ानूनी करार देते हैं, ये क़ानून सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद लागू होअमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को 50 साल पुराने रो बनाम वेड मामले में आए फ़ैसले को पलट दिया है जिसके ज़रिए गर्भपात कराने को क़ानूनी करार दिया गया था और कहा गया था कि संविधान गर्भवती महिला को गर्भपात से जुड़ा फ़ैसला लेने का हक़ देता है। सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के बाद से अमेरिका के कुछ राज्यों में अबॉर्शन क्लीनिक बंद होना शुरू हो गए हैं।
ग़रीब महिलाओं को होगी ‘मुश्किल’
अर्कांसस की ही तरह लुइज़ियाना एक अन्य ऐसा राज्य है जहां इस फ़ैसले का सीधा और तुरंत असर देखा गया है।फ़ैसला सार्वजनिक होने के साथ ही राज्य के तीन अबॉर्शन सेंटर्स में से एक वीमेन्स हेल्थ केयर सेंटर, को तुरंत बंद कर दिया गया और यहां काम करने वाले कर्मचारियों को उनके घर जाने को बोल दिया गया। इस क्लीनिक के बाहर खड़ी लिंडा कोचेर ने बीबीसी से कहा कि अमीर महिलाओं के लिए कोई समस्या नहीं होगी. वे अबॉर्शन कराने के लिए दूसरे राज्य चली जाएंगी लेकिन ग़रीब महिलाओं को इसका ख़ामियाज़ा उठाना होगा.
हालांकि गर्भपात विरोधी कैंपेन में शामिल पादरी बिल शैंक्स ने कहा कि यह जश्न मनाने का दिन है। ऐसे में अगर आंकड़ों के संदर्भ में बात करें तो ऐसी संभावना जताई जा रही है कि क़रीब 36 मिलियन (3.6 करोड़) महिलाओं से उनके राज्य में गर्भपात का अधिकार छिन जाएगा. यह आंकड़े एक हेल्थकेयर ऑर्गेनाइज़ेशन प्लान्ड पैरेंटहुड की ओर से जारी किए गए हैं।